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Saturday 30 May 2015

आपदा राहत राशि से की अय्याशी


जून 2013 में जब उत्तराखंड भीषण आपदा से जूझ रहा था, केदारघाटी में लाशों के ढेर लगे थे, जान बचाने का संघर्ष चल रहा था और लोग भूख-प्यास से बिलबिला रहे थे। उस समय राहत एवं बचाव में लगे अधिकारी महंगे होटलों में रात गुजार भोजन में लजीज व्यंजन (चिकन-मटन-अंडे, मटर पनीर व गुलाब जामुन) का स्वाद ले रहे थे। सूचना के अधिकारी की एक अपील की सुनवाई में यह सब सामने आया। सूचना आयोग में प्रस्तुत आपदा के दौरान के राहत-बचाव कार्यों के बिल इसकी गवाही दे रहे हैं। यह देख सूचना आयोग अवाक रह गया। मामले के सामने आ जाने के बाद मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जांच के आदेश दे दिए हैं। राज्य सूचना आयुक्त अनिल कुमार शर्मा ने आपदा के कार्यों में सैकड़ों करोड़ रुपये के घपले की आशंका जताते हुए सभी कार्यों की सीबीआइ या किसी निष्पक्ष जांच एजेंसी से जांच कराने की गुजारिश मुख्यमंत्री से की थी। नेशनल एक्शन फोरम फॉर सोशल जस्टिस के जिलाध्यक्ष भूपेंद्र कुमार ने 27 दिसंबर, 2013 को रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ व बागेश्वर के जिलाधिकारियों से जून 2013 में आई आपदा के दौरान राहत-बचाव के सभी कार्यों में व्यय धनराशि और इसमें जुटे अधिकारियों के खर्च की जानकारी मांगी थी। तय समयावधि में समुचित जानकारी न मिलने पर भूपेंद्र कुमार ने सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया। आयोग की सख्ती के बाद जब जनपदों ने बिल देने शुरू किए तो मामले की सुनवाई कर रहे सूचना आयुक्त अनिल कुमार शर्मा अवाक रह गए। केदारघाटी की त्रासदी वाले रुद्रप्रयाग जनपद के ही एक मामले के बिल पर गौर करें तो आपदा की जिस घड़ी में लोगों के सिर पर छत नहीं थी और लोगों को पर्याप्त भोजन भी मयस्सर नहीं हो पा रहा था, उस दौरान राहत-बचाव कार्य में लगे कार्मिकों के ठहरने व खाने की व्यवस्था पर 25 लाख 19 हजार रुपये का खर्च आया। एक अधिकारी के होटल में ठहरने का जो किराया दर्शाया गया, वह 6750 रुपये था। भोजन मिलाकर यह राशि प्रतिदिन 7650 रुपये बैठ रही थी। चौंकाने वाली बात यह भी कि उस दौरान अधिकारियों ने आधा लीटर दूध की 194 रुपये कीमत अदा की। अपेक्षाकृत कम प्रभावित पिथौरागढ़, बागेश्वर जनपद में कुमाऊं मंडल विकास निगम ने 15 दिन आपदा प्रभावितों के सरकारी रेस्ट हाउस में ठहरने का चार लाख रुपये का बिल भेजा है। कई कार्य ऐसे हैं, जिन्हें आपदा से पहले ही पूरा दिखाया गया। जबकि, कुछ बिल आपदा वाले दिन के ही हैं। आपदा के दौरान अधिकारियों ने मोटरसाइकिल व स्कूटर में भी डीजल भर डाला। इस तरह की बिलों में तमाम अनियमितता मिलीं, जिस पर आयोग को संज्ञान लेकर सूचना आयोग को सीबीआइ जांच कराने की गुजारिश करनी पड़ी। उत्तराखंड के राज्य सूचना आयुक्त अनिल कुमार शर्मा ने बताया कि 'आपदा राहत में लगे कार्मिकों के खाने-पीने व ठहरने के बिल मानवता को शर्मसार करने वाले हैं। ये कार्मिक आपदा पीड़ितों की मदद और दायित्व निर्वहन के लिए गए थे या पिकनिक मनाने।' पिथौरागढ़ जनपद में अधिशासी अभियंता, जल संस्थान डीडीहाट ने एक कार्य को 28 दिसंबर 2013 को शुरू होना दिखाया, जबकि बिल में कार्य पूर्ण होने की तिथि 43 दिन पहले 16 नवंबर 2013 दिखाई गई। एक अन्य बिल में राहत कार्य आपदा से छह माह पहले 22 जनवरी 2013 को ही शुरू करना दर्शाया गया। नगर पंचायत डीडीहाट के 30 लाख 45 हजार रुपये के कार्यों के बिलों में कोई तिथि अंकित नहीं मिली। तहसीलदार कपकोट द्वारा 12 लाख रुपये आपदा पीड़ितों को बांटना दिखाया है, जबकि रसीद एकमात्र पीड़िता को पांच हजार रुपये भुगतान की लगाई गई। तहसीलदार गरुड़ ने आपदा राहत के एक लाख 83 हजार 962 रुपये बांटे और यहां भी रेकार्ड के तौर पर 1188, 816 रुपये की ही रसीद मिली। 16 जून 2013 को आई आपदा की भयावहता का पता प्रशासन को दो-तीन दिन बाद ही चल पाया था, लेकिन उत्तरकाशी में खाने-पीने आदि की सामग्री के लाखों रुपये के बिल 16 तारीख के ही लगा दिए गए। आपदा के समय मोटरसाइकिल (यूए072935), (यूए07ए/0881), (यूके05ए-0840), बजाज चेतक (यूए12/0310) में क्रमश: 30, 25, 15, 30 लीटर डीजल डालना दिखाया गया। थ्री व्हीलर (यूके08टीए/0844) व ए/एफ नंबर के एक वाहन में क्रमश: 30-30 लीटर डीजल डालने के बिल भी अधिकारियों ने संलग्न किए। बता दें कि पर्वतीय जिलों में थ्री व्हीलर चलते ही नहीं हैं। उपजिलाधिकारी के नाम से बनाए गए बिलों पर बिना नंबर के वाहनों में 21 जून से 09 जुलाई के मध्य क्रमश: 51795, 49329, 21733 रुपये के डीजल खर्च होना दिखाया गया। तहसील कर्णप्रयाग में राहत कार्य के तहत आपदा से करीब डेढ़ माह पहले के ईंधन बिल लगाए गए। चमोली के जिला युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल अधिकारी ने आपदा से एक माह पहले के होटल बिल लगा दिए। डेक्कन हेलीकॉप्टर सेवा ने 24 जून की तारीख का जो बिल जमा किया है, उसमें ईंधन का चार दिन का खर्च 98 लाख 8090 रुपये दर्शाया गया है।

Friday 29 May 2015

हरिद्वार में विधायक कुंवर प्रणव सिंह और खनन माफिया के बीच फ़ायरिंग


हरिद्वार में बाण गंगा इलाके में खानपुर से विधायक कुंवर प्रणव सिंह और खनन माफिया के बीच फ़ायरिंग हुई है। बताया जा रहा है कि ये फ़ायरिंग बिशनपुर कुंडी इलाके मेंं हुई है। खनन माफिया और विधायक के समर्थकों के बीच करीब दो सौ राउंड फायरिंग हुई है। बताया जा रहा है कि विधायक कुंडी इलाके में गंगा पर बने बांध का निरीक्षण करने के लिए सिंचाई विभाग के कर्मचारियों के साथ गए थे। इसी दौरान विधायक के समर्थकों पर खनन माफिया ने फायरिंग कर दी। जवाबी कार्रवाई में विधायक के समर्थकों की तरफ से भी फ़ायरिंग की गई है। जानकारी के बाद हरिद्वार से पुलिस टीम मौके के लिए रवाना हुई। एसएसपी स्वीटी अग्रवाल खुद मौके का मुआयना करने पहुंची।

Monday 29 August 2011

बिन अन्ना रामलीला मैदान वीरान

रामलीला मैदान में 10 दिनों तक डटे रहे अन्ना हजारे का अनशन तो रविवार खत्म हो गया और अपने पीछे एक वीरानी छोड़ गया। जो रामलीला मैदान पिछले 10 दिनों से दिल्ली, देश और दुनिया के लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ था, जहां हर दिन हजारों की भीड़ उमड़ रही थी, वही रामलीला सोमवार को फिर उजाड़ हो गया।

हालांकि टेंट का कुछ हिस्सा अभी लगा हुआ था, जिसे मजदूर निकाल रहे थे। दिल्ली पुलिस के कुछ बैरिकेड भी अंदर रखे थे और मंच पर कुछ बिस्तर भी पड़े थे।

NATIONAL NEWS नोएडा एक्सटेंशन पर सुनवाई 12 सितंबर तक टली

नोएडा।। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार को नोएडा एक्सटेंशन मामले की सुनवाई 12 सितंबर तक के लिए टाल दी। हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट अथॉरिटी ( GNIDA ) से कहा है कि सैंकड़ों किसानों द्वारा दायर याचिकाओं पर जवाबी हलफनामा दायर करें। किसानों ने ग्रेटर नोएडा और नोएडा एक्सटेंशन में विकास के लिए तीन हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि के अधिग्रहण को चुनौती दी है। इसके चलते इस इलाके में बहुत से बिल्डरों के प्रॉजेक्ट अटक गए हैं और हजारों लोगों के घरों का सपना अधर में लटक गया है. किसानों द्वारा दायर 491 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही जस्टिस अशोक भूषण, एसयू खान और वी.के. शुक्ला की पीठ ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख 12 सितंबर तय की है।

याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार ने इमर्जेंसी क्लॉज लगाकर उनकी जमीन का अधिग्रहण किया जिससे वे इसके खिलाफ आपत्ति उठाने और पर्याप्त मुआवजे के लिए सौदेबाजी करने के मौके से महरूम रह गए। किसानों ने याचिका में कहा है कि बाद में जमीन हाउसिंग प्रॉजेक्ट बनाने लिए प्राइवेट बिल्डरों को बेच दी गई जबकि अधिग्रहण ग्रेटर नोएडा और नोएडा एक्सटेंशन के 'योजनाबद्ध औद्योगिक विकास' के नाम पर किया गया था। इसके अलावा बहुत से बिल्डरों और फ्लैट खरीदारों ने भी अर्जी दायर कर गुजारिश की थी कि मामले में उन्हें भी पक्ष बनाया जाए क्योंकि इस मामले में आने वाले किसी भी आदेश का असर उन पर पड़ने की संभावना है।
अदालत ने हालांकि इन अर्जियों पर कोई आदेश नहीं दिया। अदालत ने कहा, 'अधिग्रहित जमीन के सभी आवंटी अगली सुनवाई की तारीख तक अपने हलफनामे दायर करने के लिए आजाद हैं।'

अदालत ने यह भी कहा कि 12 सितंबर से यह पहले ही दायर की जा चुकी 491 याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगी और मामले से संबंधित नई याचिकाओं को अलग रखकर उन पर अलग से सुनवाई की जाएगी, ताकि अन्य याचिकाओं पर फैसले में देरी नहीं हो।

सांसदों को 'नालायक' कहने पर पेशी के लिए तैयार ओम, पुरी के साथ आए अनुपम खेर

नई दिल्‍ली. रामलीला मैदान स्थित अन्‍ना हजारे के मंच से नेताओं पर की गई कथित 'आपत्तिजनक' टिप्‍पणी के मामले में अभिनेता ओम पुरी और हजारे की सहयोगी किरण बेदी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इनके खिलाफ संसद के दोनों सदनों के सदस्‍यों ने विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है,ओम पुरी ने नेताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए माफी मांगी और कहा कि अगर उन्हें समन भेजा जाता है तो वह सांसदों के सामने पेश होने के लिए तैयार हैं। 61 साल के बॉलीवुड कलाकार ने कहा, 'मुझे इसकी जानकारी मीडिया से मिली। मुझे अभी तक नोटिस का इंतजार है। मैं संविधान और संसदीय प्रणाली में यकीन रखता हूं। अगर मुझे बुलाया गया तो मैं उनके सामने जाऊंगा और सफाई दूंगा। पुरी ने कहा कि नेताओं को ‘नालायक’ और ‘गंवार’ कहने पर उन्‍हें अफसोस है। वह बोले, 'उस वक्त मैं काफी भावुक हो गया था। मुझे इस बात का खेद है कि मैंने कुछ अपशब्द कहे, जिससे कुछ लोगों की भावनाओं को चोट पहुंची। मुझे लगता है कि मैं सड़क चलते आदमी की तरह बोला।' उन्‍होंने इस बात से इनकार किया कि उस वक्‍त उन्‍होंने शराब पी रखी थी। पुरी को रामलीला मैदान में मंच से अन्‍ना के एक सहयोगी ने पकड़ कर उतारा था। इस पर उन्होंने सफाई दी कि पुरानी सर्जरी के चलते उन्हें सीढ़ियों पर चलते हुए सहारे की जरूरत होती है। ओम पुरी ने तो अपनी टिप्‍पणी के लिए माफी मांग ली है, लेकिन किरण बेदी ने नेताओं पर की गई अपनी टिप्‍पणी को जायज ठहराते हुए कहा कि उनकी इस टिप्‍पणी से ही जनलोकपाल का मसला सुलझा है,,गौरतलब है कि किरण बेदी ने बीते शुक्रवार को रामलीला मैदान में अपने सिर पर कपड़ा रखकर सांसदों की नकल उतारते हुए कहा था कि वे आगे देखते हैं, पीछे देखते हैं, ऊपर देखते हैं, नीचे देखते हैं। उनकी इस हरकत के कुछ देर बाद ही मंच पर ओम पुरी आए थे और उन्‍होंने कथित रूप से सांसदों को नालायक, अनपढ़-गंवार कहा था।

Thursday 25 August 2011

विलासराव देशमुख के माध्यम से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास संदेश भेजा

नई दिल्ली। गांधीवादी अन्ना हजारे ने केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख के माध्यम से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास संदेश भेजा है कि कल ही संसद में जनलोकपाल विधेयक के उन तीन मुद्दों पर चर्चा कराई जाए जिन पर गतिरोध बना हुआ है। हजारे ने कहा कि हमारे तीन मुद्दों पर यदि आम सहमति बनती है तो मैं अनशन तोड़ने पर विचार कर सकता हूं। हजारे ने गुरुवार को अपने अनशन के दसवें दिन रामलीला मैदान में मौजूद समर्थकों से कहा कि मैंने विलासराव देशमुख के जरिए प्रधानमंत्री को संदेश भेजा है कि अगर आपको मेरी सेहत की फिक्र है तो आप कल ही संसद में जनलोकपाल के तीन मुख्य मुद्दों पर चर्चा कराएं। अपने अनशन के 220 घंटे पूरे होने के बाद भी बुलंद आवाज में अन्ना ने कहा कि अगर जनलोकपाल के तीन मुद्दों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में सहमति बन जाती है तो वह अपना अनशन खत्म कर देंगे, लेकिन शेष मुद्दों पर धरना जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि अगर सरकार कल संसद में चर्चा पर नहीं मानी तो वह अनशन जारी रखेंगे और मरते दम करते रहेंगे। हजारे ने कहा कि वह जनलोकपाल के तीन मुद्दों पर यानी सरकारी दफ्तरों में सिटीजन चार्टर होने, राज्यों में लोकायुक्त के गठन और नीचे से लेकर ऊपर तक के सभी नौकरशाहों को लोकपाल के दायरे में लाने पर संसद में चर्चा चाहते हैं। अन्ना ने कहा कि सरकार तीनों मुद्दों पर अपना मसौदा दे और शेष मुद्दों पर भी लिखित आश्वासन दे। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष और प्रधानमंत्री द्वारा हजारे के आंदोलन पर दिए वक्तव्यों की सराहना की। हालांकि उन्होंने प्रधानमंत्री तथा विपक्षी दलों पर निशाना भी साधा। हजारे ने कहा कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि उन्हें मेरी सेहत की चिंता है, लेकिन इस चिंता में दस दिन क्यों लगे। हजारे ने कहा कि विपक्षी दल मौन क्यों हैं। उन्हें अपना मौन तोड़ देना चाहिए और सत्ता पक्ष पर विधेयक के लिए दबाव बनाना चाहिए। अन्ना ने अपने समर्थकों से कहा कि अगर सरकार नहीं माने और उन्हें गिरफ्तार कर अस्पताल ले जाए तो लोग बड़ी संख्या में सांसदों का घेराव करें। उन्होंने कहा कि वह दो बार सरकार से धोखा खा चुके हैं और तीसरी बार धोखा नहीं खाना चाहते। हजारे ने दिल्ली पुलिस से मांग की कि वह रामलीला मैदान पर अनशन के लिए मिली दो सितंबर तक की अनुमति की अवधि को हमारे मुद्दों के हल होने तक बढ़ा दे। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों ने मेरी जांच की है। चिंता करने की कोई बात नहीं। मेरा वजन साढ़े छह किलो कम हुआ है। भगवान की दया से और आपसे मुझे जो ऊर्जा मिल रही है, उसी का परिणाम है कि मुझे कोई दिक्कत नहीं है।


Wednesday 24 August 2011

अमर सिंह के खिलाफ नोट फॉर वोट मामले में शिकंजा कस।

अमर सिंह के खिलाफ नोट फॉर वोट मामले में शिकंजा कसता जा रहा है। समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता के खिलाफ इस मामले में जल्द ही चार्जशीट दाखिल की जाएगी। अमर सिंह पर 2008 में बीजेपी के तीन सांसदों को घूस देने के आरोप है। इसके मुताबिक तीनों सांसदों को एक करोड़ रुपये दिए गए थे।
मीडिया में सूत्रों के हवाले से आ रही खबरों के मुताबिक सिर्फ अमर सिंह के खिलाफ ही नहीं बल्कि सुधींद्र कुलकर्णी के खिलाफ भी आरोप पत्र दाखिल किया जा सकता है।   2008 में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के सलाहकार सुधींद्र कुलकर्णी पर इस पूरे ऑपरेशन के जरिए तत्कालीन यूपीए सरकार की बहुमत जुटाने की कोशिश को उजागर करने का आरोप है। कुलकर्णी पर आपराधिक मुकदमा दर्ज होने के आसार हैं। इसमें उकसाने का आरोप भी लग सकता है।  बीजेपी के तीन सांसद-अशोक अर्गल, फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर भगोरा- नोट लेकर लोकसभा में पहुंच गए थे और वहां नोट लहराए थे। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि अमर सिंह ने एक बिचौलिये के जरिए सांसदों को घूस देने की कोशिश की थी। उस समय अमर सिंह समाजवादी पार्टी के नेता थे और पार्टी ने सरकार को बाहर से समर्थन दिया था।